शनिवार, 2 अप्रैल 2011

एकता के बिना सैनी बिरादरी का उत्थान एवं विकास संभव नहीं

देश भर में हरबार होने वाले लगभग प्रत्येक लोकसभा और विधानसभा चुनावों तथा अन्य पंचायतराज, नगरपालिकाओं आदि के चुनावों में सैनी समाज के ही लोग परस्पर एक-दूसरे की टांग खिंचाई करते हुए नजर आते हैं। इस प्रकार हम हमेशा एकता के बजाये सार्वजनिक रूप से अपनी आपसी फूट को खुलकर उजागर करते हैं। इस स्थिति से सैनी बिरादरी के प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ता है। बहुत कम स्थानों पर हम अपना राजनीतिक अस्तित्व बचा पाते हैं। अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के लिए पूरी तरह स्वार्थ की भावना को धारण करके हम सामूहिक सोच को त्याग देते हैं, जिससे अलग-अलग छोटे-छोटे समूहों में बंटे इस बिरादरी के लोगों द्वारा इस समाज द्वारा पिछले लम्बे समय से चलाई जा रही मुहिम को निष्फल बना दिया जाता है। ये हालात इस नतीजे पर पहुंचने के लिए फिलहाल पर्याप्त है कि सैनी बिरादरी का उत्थान एवं विकास तब तक संभव नहीं है जब तक इसमें एकजुटता नहीं आएगी और बिरादरी को पीछे धकेलने के जिम्मेवार कारणों पर एक विस्तृत चर्चा एक सांझें मंच पर की दजानी जरूरी है। ऐसा नहीं है कि बिरादरी कल्याण को लेकर इसके बाशिंदों द्वारा कोई चिंतन नहीं किया जा रहा है मगर सार्थक परिणाम इस वजह से नहीं निकल पा रहे कि इसमें अधिक से अधिक संख्या में लोगों को शामिल नहीं किया जा रहा है। अमूमन सैनी समाज का कोई भी संगठन जब इसके उत्थान के लिए कोई योजना बनाता है तो वह इसमें केवल उन्हीं लोगों को शामिल करता है या उनके सहयोग की अपेक्षा करता है जो उसकी विचारधारा से जुड़े हुए हैं या फिर उसकी विचारधारा का समर्थन करते हैं। यही कारण है कि ऐसी योजना हर बार विस्तृत रूप धारण करने की बजाए एक छोटे स्तर पर ही सिमट कर रह जाती है और उसके परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं निकल पाते। इतिहास गवाह है कि किसी भी बिरादरी के उत्थान के लिए छेड़ा गया आंदोलन तब तक कामयाब नहीं हो पाया है जब तक उससे अधिक से अधिक संख्या में आमजन को नहीं जोड़ा गया है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने छोटे-छोटे गुटों एवं निजी हितों से ऊपर उठकर एक ऐसे सांझे मंच पर एकत्रित होकर सैनी समाज का विकास करने के लिए मंथन करें, जो इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि समाज का उत्थान करने वाली इस मुहिम में बिरादरी के लोगों की हिस्सेदारी अधिकाधिक संख्या में हो, क्योंकि सैनी बिरादरी को अन्य विकसित बिरादरियों की श्रेणियों में शुमार करने के लक्ष्य को तब तक वांछित कामयाबी नहीं मिल सकती जब तक इस लक्ष्य का संदेश इस बिरादरी के लोगों के घर-घर तक नहीं पहुंचेंगा। साथ ही बिरादरी के उन लोगों को भी इस मुहिम में अपना योगदान देना होगा जो बड़े सरकारी पदों पर विराजमान है क्योंकि उनका सहयोग इसमें निर्णायक साबित हो सकता है। सैनी समाज के जो लोग विभिन्न राजनैतिक पार्टियों से जुड़े हुए हैं, उन्हें अपनी पार्टियों से बंधे रहकर भी समाज के सामूहिक हितों के बारें में सोच रखनी होगी। जहां जरूरत पड़े वहां उन्हें अपनी पार्टी से सम्बंधित हितों का त्याग करने से भी कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

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