गुरुवार, 30 जनवरी 2020

कछवाहा

-कछवाहा श्री रामचंद्रजी के छोटे बेटे कुश की औलाद है । इनका दूसरा नाम ‘कुरम’ भी है । कछवाहे अयोध्या से रुहतास से नरवर में और नरवर से ढूढ़ार में आये जयपुर में राज करते रहे । कछवाहों की बहुत-सी खांपे ढूढ़ार में आने के बादफटी है । इनमें शेखावतों की खांप सबसे बड़ी है और बहुत-सा हिस्सा इस रियासत का उनके नीचे है जिसको शेखावाटी कहते हैं । -शेखावत : भोरसि आला मूल पुरूष जो शेखाजी शेखबुरहान नामक एक मुसलमान फकीर की दुआ से पैदा हुआ और उनका नाम ‘शेख’ रखा । शेखावतों में कई मुसलमानी बातें -
1. शेखावत सूअर का मांस नहीं खाते । झटके का मांस भी नहीं खाते ।
2. बच्चे को कई बरस नीले कपड़े पहनाते हैं ।
3. बच्चे का झड़ूला शेखबुरहान की कब्र पर उतारते हैं ।
4.बच्चे के गले में शेख बुरहान की नाम की बध्धी बांधते हैं ।
दूसरी खांप नरूका है जिसमें अलवर के महाराजा हैं । तीसरी खांप राजावत है जो आमेर की गद्दी की हकदार समझी जाती है । चौथी खांप नाथावतों की है । यह आमेर के पटेल समझे जाते हैं । राज के कामों में इनका दखल ठेट से चला आता है ।....कछवाहों की कुलदेवी जमवायमाता है जिसका मंदिर मांची रामगढ़ में है । कछवाहे अपने आमेर का राज जमवायमाता का दिया हुआ मानते हैं । बच्चों का झड़ूला भी जमवायमाता के थान पर उतारते हैं । सीतारामजी और सूरज देवता को भी कछवाहे पूजते हैं । लड़ाई में सीतारामजी का हाथी जयपुर की फौज के आगे रहता है इसके वास्ते यह कहावत है कि ‘लड़ने को सीतारामजी, लाडु खाने को मदनमोहनजी ।’ सूरज सप्तमी का त्यौहार खास करके जयपुर में ही माह सुद 7 को होता है और उस दिन जयपुर के महाराज सवारी करके सूरज के रथ के पीछे चलते हैं । कछवाहे जयपुर की गद्दी को रामचन्द्रजी की गद्दी समझते हैं और कछवाहे आपस में जयरूघनाथजी करते हैं । कछवाहों में नातरायत राजपूत नहीं होते । औरतें हाथ और कान में चांदी नहीं पहनतीं । -6/6-8.
-कछवाह सूरजवंसी कहीजै । कछवांहांरी पीढ़ी- 1. आदि, 2. अनाद, 3.चांद, 4. कंवळ, 5. ब्रह्मा, 6. मरीच, 7. कस्यप, 8. कासिब, 9. सूरज, 10. रुघ सूं रुघवंसी कहीजै । 11. रघोस, 12. धरमोस, 13. त्रसिंघ, 14. राजा हरिचंद, 15. रोहितास, 16.राजा सिवराज, 17. संतोष, 18. राजा रवदंत, 19. राजा कलमष, 20. घुंधमार, चकवै, 21. राजा सगर, 22. असमंज, 23.भागीरथ, 24. कउकुस्त, 25. दिलीप, दिल्ली वसाई, 26. सिवधांन, 27. केवांध, 28. अज, अजोध्या वसाई, 29. अजैपाळ, चकवै, 30. राजा दसरथ, 31. श्री रामचंद्रजी, 32. कुसथी कछवाहा हुवा, 33. बुधसेन, 34. चंद्रसेन चाटसू वसाई, 35.श्री वछ, 36. सूर, 37. वीरचरित, 38. अजैबंध, 39. उग्रसेन, 40. सूरसेन, 41. हरनांम, 42. हरजस, 43. द्रढ़हास, 44. प्रसेनजित, 45. सुसिध, 46. अमरतेज, 47. दीरघबाह, 48. विबसांन, 49. विवसत, 50. रोरक, 51. रजमाई, 52. जसमाई, 53. गौतम, 54. नळराजा, नळवर वसायो, 55. ढोलो नळरो, 56.लछमण, 57. वजरदीप, 58. मांगळ, मांगळोर वसायो, 59. सुमित्र, 60. सुधिब्रह्मा, 61. राजा कहनी, 62. देवांनी, 63. राजा उसै, 64. सोढ़, 65.दुलराज, 66. राजा हणुं, आंबर, 67. जोजड़, 68. राजा पुंजन ।10/277-9.
-कछवाहां रो राज थेटू पूरबमें रोहितासगढ़ जठै । उठासूं नरवर वसिया । नरवरसूं दोसौ ठकुराई बांधी । दोसासूं आंबेर, आंबेरसूं जैपुर ।.....कछवाहां री वंसावळी- कुंतल, जीवण्सी, उधरण, चांदणो, प्रिथीराज ।.....राजा प्रिथीराजरै बेटा तेरह-भारमल,रतनसी, भींव, सांगो, बळभद्र, सुरताण, परताप, जगमाल, रूपसी वैरागर, डूंगरसी, कल्याणमल, गोपाळ, चत्रभुज । 15/123.
-राजा प्रिथीराजरा राजावत कहाणा ।.....नाथो गोपाळरो जिणरा नाथावत कहीजै । जगमालरो खंगार तिणरा खंगारोत कहावै । 15/123. 
-राजा काकिल रो अलघ, तिणरा मेड़ कछवाह कहीजै । रालण रा रालणोत कहीजै । देलण, तिणरा लाहरका कहीजै । 10/280.
-भांेवड़ नै लाखणसी बेऊं पुंजनरा, त्यांरा परधांनका कछवाहा कहीजै ।...भोजराज नै दलो, त्यांरा लवांणका कछवाहा कहीजै । रांमेस्वर, तिणरा रांणावत कछवाहा कहीजै । सीहो, तिणरा सीहांणी कहीजै ।....रावत अख्ैाराज तिणरा धीरावत कछवाहा कहीजै । ..रावळ जसराजरा हीज पोतरा कहीजै ।...हमीर, तिणरा हमीर पोता कहीजै ।..भड़सी, तिणरा भाखरोत कीतावत । आलणसी, तिणरा जोगी कछवाहा कहीजै ।...कूंभो, तिणरा कूंभांणी ।....उदैकरणोत बालो तिणरा सेखावत, वरसिंघ तिणरा नरूका, सिवब्रह्म तिणरानिंदड़का कछवाहा ।...राजा वणवीर, तिणारा राजावत नै वणवीर पोता कहीजै । 10/280-1.
-खंगार जगमालोत । जिण खंगाररा खंगारोत कछवाहा नराइणरा धणी छै । 10/290.
-खैराज खरहथ बालारा, जिणरा पोता करणावत कछवाहा कहीजै । 10/315.
-रावत खैराज कीलणदेरो । तिणरा धीरावत कछवाहा कहीजै । 10/317.
-कछवाहो अळधरो राजा काकिलरो, जिणरा पोता मेड़का कुंडळका कहीजै ।....कछवाहो रालण राजा काकिलरो जिणरा पोतारालणोत कछवाहा कहीजै ।.....कछवाहो देलण राजा काकिलरो, जिएरा पोता लहर कछवाहा कहीजै । 10/318.
-राजा मलैसी, जिण मलैसीरै रांणी मेलणदे खीवण, अनळ, खीचीरी बेटी । जिण पिहरसूं खंथडि़या प्रोहित गुर आंणिया । पैहली गांगावत था सो दूर किया । 10/280.
-मलैसीरा बेठा बालोजी, जिण खेत्रपाळ जीतो । सात तवा वेधिया ।... जैतल, जिण आपरा मांसरी बोटी काट तिणसूं आपरै साहिब ऊपर बैठी ग्रीधण उड़ाई । 10/280.
-द्योसारा डेरां भगोतसिंघजी, जैमलजी, जगमालजी, आसकरणजी वगेरै सात कछवाहा पातसाह अकबररा पगां लागा ।15/192.
-तुंवरवाटीरो गांव मांवडो़ मडोली जठै जाटरै जंग हुवो कछवाहांसूं -संवत् 1824 । बारै हजार घोड़ो जाटरै कनै हुतौ ।15/126.
-माहम नंगा नामा अकबररी धाय जिणरी मारफत सैंभररा डेरा कछवाहां अकबरनूं डोळो दियो । 15/192.
-कछवाहो राजावत फतैसिंघ ‘मूळी’ कहीजतो । मूळ नक्षत्रमें जनमियो हो तिणसूं । 15/127.

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