सोमवार, 16 नवंबर 2015

माँ सुसवाणी चालिसा

जय जय जय सुसवाणी माता । 
भक्त चरण मे शीश नवाता ।१। 
नवनव ज्योत भक्त हितकारी । 
शरणागत की बाधा टारी 
नागौर नगर मे जन्म लियौ माँ 
सुराना कुल को धन्य कियो माँ ।३। 
सौम्यरुप ले माँ अवतारिया 
अनगिन रुप माँ अम्बे धरिया ।४।
दिव्यरुप माँ नैन विशाला ।
हिवडे हार वैजयन्ति माला ।५।
काना कुन्डल मुकुट अति सोहे ।
ब्रम्हा,विष्णू,शिव मन मोहे ।६।
मेलो देखन माता पधारा
संग सहेला लस्कर सारा ।७।
दुष्ट मुगलो मन बुरी विचारी ।
दुष्ट मरो संग सेना सारी ।८।
अत्याचारी को मात खपाया ।
ले त्रिशुल माँ किया सफ़ाया ।९।
चढया सिंह मोरखाणा आया ।
शक्ति स्थल शंकर से पाया ।१०।
सब जन कैर का भाग सराया ।
कालजिये मे मात बसाया ।११।
धन्य मात तु कैरां वाली ।
दुष्ट संहारे बन मतवाली ।१२।
कुल कर गरिमा जग में गूँजी ।
माँ की ममता सबसे ऊँची ।१३।
बारह सो उन्नती से
माता मही समाया ।
सहस्त्र दोय सो बत्तीसे 
प्रकत होय फ़िर आया ।
काकासा ने परचो दिन्यो ।
आय मोराणे मन्दिर किन्यो ।१४।
भाटयां से माँ वाचा किन्हा ।
पूजा मांग राजपद दिन्हा ।१५।
माँ सुसवाणी सब दुख हरणी
कैरां वाली सब सुख करनी ।१६।
तीनू लोकां नाम तिहारो ।
शीतल नैना आप निहारो ।१७।
आधि व्याधि निकट नही आवे ।
सुसवाणी को नाम सुनावे।१८। 
धन्य कहत इन्द्रादिक देवा ।
आय भक्त करै नित सेवा ।१९।
दर्श करत दुख दारिद्र भागे ।
सोया भाग दर्श से जागे ।२०।

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