Suswani Mataji Ki Aarti
श्री सुसवानी माताजी की आरती
मंगल की सेवा सुन मेरी हे देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े |
पान, सुपारी, ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे ||
सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, सन्तन के भंडार भरे |
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशाली मैया जै सुसवानी माता सहाय्य करे ||1||
'बुध' विधाता तू जग माता, तेरा कारज सिद्ध करो|
श्रीचरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन पड़े||
जब-जब भीड़ पड़ी भक्तन पर तब तब आकर सहाय्य करे ||2||
'गुरु' के बार सकल जग मोहिये, तरुनी रूप अनूप धरे |
माता हो कर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे ||
थोरी महिला कब लख बरनी, बैठी कोटि कल्याण करे ||3||
शुक्र सुखदाई सदा सहाई मैया, सन्त खड़े जय जयकार करे |
ब्रम्हा, विष्णु, महेश फल लिये भेट देने तेरे द्वार खड़े ||
अटल सिंहासन बैठे मोरी माता, सर सोने का छत्र धरे ||4||
वार 'शनिवार 'कुंकुवरानी, जब लड़कन पर हुक्म करे |
खडग खप्पर त्रिशूल हाथ में, रक्त बिज को भस्म करे ||
शुम्भ निशुम्भ को क्षन में सारे,महिषासुर को पकड़ धरे ||5||
'अदितवारी'आदि भवानी, जग अपने का कष्ट हरे |
महाकोप कर दानव मारे, चंड मुंड सब चूर करे ||
जब तुमको देखू दया रूप में, हो पल में संकट दूर करे ||6||
सोम स्वभाव धरयो मोरी माता, सबकी अरज कबूल करे |
सात वार की महिला बरनी, सब गुण कौन बचन करे ||
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन में राज करे ||7||
दर्शन पावे मंगल गावै, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे |
ब्रम्हा वेड पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे ||
इंद्र कृष्ण तेरी करत आरती, चेला चंवर डुलाय करे ||8||
जग जननी जय मात भवानी, अटल भवन में राज करे ||
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशाली मैया, जे सुसवानी माता सहाय करे ||9||
मंगल की सेवा सुन मेरी हे देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े |
पान, सुपारी, ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे ||
सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, सन्तन के भंडार भरे |
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशाली मैया जै सुसवानी माता सहाय्य करे ||1||
'बुध' विधाता तू जग माता, तेरा कारज सिद्ध करो|
श्रीचरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन पड़े||
जब-जब भीड़ पड़ी भक्तन पर तब तब आकर सहाय्य करे ||2||
'गुरु' के बार सकल जग मोहिये, तरुनी रूप अनूप धरे |
माता हो कर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे ||
थोरी महिला कब लख बरनी, बैठी कोटि कल्याण करे ||3||
शुक्र सुखदाई सदा सहाई मैया, सन्त खड़े जय जयकार करे |
ब्रम्हा, विष्णु, महेश फल लिये भेट देने तेरे द्वार खड़े ||
अटल सिंहासन बैठे मोरी माता, सर सोने का छत्र धरे ||4||
वार 'शनिवार 'कुंकुवरानी, जब लड़कन पर हुक्म करे |
खडग खप्पर त्रिशूल हाथ में, रक्त बिज को भस्म करे ||
शुम्भ निशुम्भ को क्षन में सारे,महिषासुर को पकड़ धरे ||5||
'अदितवारी'आदि भवानी, जग अपने का कष्ट हरे |
महाकोप कर दानव मारे, चंड मुंड सब चूर करे ||
जब तुमको देखू दया रूप में, हो पल में संकट दूर करे ||6||
सोम स्वभाव धरयो मोरी माता, सबकी अरज कबूल करे |
सात वार की महिला बरनी, सब गुण कौन बचन करे ||
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन में राज करे ||7||
दर्शन पावे मंगल गावै, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे |
ब्रम्हा वेड पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे ||
इंद्र कृष्ण तेरी करत आरती, चेला चंवर डुलाय करे ||8||
जग जननी जय मात भवानी, अटल भवन में राज करे ||
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशाली मैया, जे सुसवानी माता सहाय करे ||9||
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