शुक्रवार, 23 मार्च 2018

सावित्रीबाई फुले की चार शीषर्कविहीन कविता

“ज्ञान के बिना सब खो जाता है
ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते हैं
इसलिए खाली न बैठो और जा कर शिक्षा लो
तुम्हारे पास सीखने का सुनहरा मौका है
इसलिए सीखो और जाति के बन्धन तोड़ो”
“गुलाब का फूल
और फूल कनेर का
रंग रूप दोनों का एक सा
एक आम आदमी
दूसरा राजकुमार
गुलाब की रौनक देसी फूलों से
उसकी उपमा कैसी?”
“पत्थर को सिंदूर लगाकर
और तेल में डुबोकर
जिसे समझा जाता है देवता
वो असल में होता है पत्थर”
हमारे जानी दुश्मन का
नाम है अज्ञान
उसे धर दबोचो
मज़बूत पकड़ कर पीटो
और उसे जीवन से भगा दो

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