आज के वर्तमान युग में प्रत्येक मनुष्य या हर समाज अपने वर्तमन स्तिथि का अवलोकन करतें हुए अपने इतिहास को जानने के लिये उत्सुक रहता है. कि हम कौन थे? हमारे पूर्वज क्या थे? हम किसकी वंशज है? हमारे कल और आज में क्या अंतर है ? इस तरह के प्रश्न आते रहते है.
हम दुनिया के उन पूर्वजों के वंशज है जो योद्धा, समाज सुधारकऔर श्रमशीलता में आज भी किसी से कम नहीं है. ईमानदार, कर्मठ, शांतिप्रिय, न्याय प्रिय, सत्यप्रिय, विनम्र ऐसे समाज में पैदा होने से हम गौरान्वित महसूस करते है.
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र से लेकर रघुवंश के राजा राम, कुश वैंश के लव-कुश, मौर्य वंश के चंद्रगुप्त मौर्या, यह वंश जिसकी 164 पीढीया इस भारतवर्ष तथा अन्य द्वीपों पर रामायण काल से भी पूर्व से राज करती आ रही है. ईसा पूर्व 56 पीढि़यां में महामानव तथा गौतमबुद्ध ने सर्वप्रथम मानवता, सत्यता, न्याय, विश्वबंधुत्व के लिए आंदोलन चलाया. ईसा पूर्व 322 से ईसा पूर्व 185 तक मौर्य वंश के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसर, सम्राट अशोक, दशरथ सम्प्रति, शांतिशक देवधर्मा, शत्धन्वत तथा वृहादरथ ने 137 वर्षो तक भारतवर्ष पर राज्य किया सम्राट .चंद्रगुप्त मौर्य का शासनकाल आज भी इतिहास के पन्नो पर चमक रहा है. हमारे ही पूर्वजों ने ही इस देश को ब्राह्मी लिपि दी जो देवनागरी के रूप में आज भी जानी जाती है.
जलियावाला बाग के जघन्य अपराधी जनरल ओ डायर को गोली से भुनने वाले ऊधम सिंह सैनी भी हमारे समाज के है और हमारा समाज उन पर गर्व करता है और उनके शहादत को नमन करता है. इसी इतिहास के पन्नो पर हमारे समाज के गौरव महात्मा ज्योतिबा फुले व माता सावित्री बाईं फुले जिनके कल्याणकारी कार्यों ने इतिहास रच दिया है. जिन्हें महात्मा गाँधी ने अपना मार्गदर्शक व डो भीमराव अंबेडकर ने अपना गुरु माना, जिसे पूरा समाज गर्व करता है.
इस प्रकार हम उपरोक्त वंशजों के एक ही जाति के विभिन्न उपजातियों में भिन्न – भिन्न जगहों पर फैले हुए है चाहे पंजाब में सैनी के रूप में, उत्तरप्रदेश में मौर्या (मुरवा, मोया), शाक्य (सक्सेना), वर्मा बिहार में महतो, मेहता, सिंह, कुशवाहा (कछावा, काछी) तथा मध्यप्रदेश व छत्तिसगढ में कोसरिया पटेल मरार, अघरिया पटेल मरार, हरदिया पटेल मरार, झिरिया पटेल मरार, सोनकर मरार, माली मरार या अन्य कालिय (कोइरी, कुईरी), सूर्यवंशी, बनाफर, दागी, कन्नौज़िया, गहलोत, मगाधिया, बागवाँ, सखरिया, भदौरिया, राठौर, सोलंकी, राजपूत, जैसवार ये आदि हमारी ही जाति के है.
उपरोक्त जानकारी इतिहास के विभिन्न पुस्तकों से संग्रहणकर संकलित की गई है.
आज हमे जरूरत है अपने समाज को आगे बढाने की, हमारे विजन (लक्ष्य) को पाने की. हमारा विजन है सुन्दर और खुशहालसमाज. चूकि हमारा समाज अन्य समाज से लगभग हर क्षेत्र के हर पायदान पर आगे बढने की दिशा मे भरपूर कोशिश कर रहा है. हमारे समाज के लोगो ने जीवन व्यवस्था को ऊपर उठाने की दिशा मे काय॔ करना प्रारम्भ कर चुके है फिर भी आशातित सफलता नही मिल रही है, इसके अनेक कारण होसकते है. जैसे अधूरा प्लानिंग, अदूर-दर्शिता,लोगो को समझा न पाना, सूचना का अभाव आदि आदि इत्यादि….. सामजिक उत्थान के अग्रदूत बराबर, उनके बैज्ञानिक सामजिक विचारो को मन्थन कर लोगो को पुरानी कुप्रथा से हटाकर नये व्यवस्था मे लाने, खर्चीले सामाजिक और घरेलू कार्यक्रमो को उखाड फेकने, शिक्षा को समाज के कमजोर से कमजोर लोगो तक पहुचाना, शिक्षितो को सरकारी और गैर सरकारी संगठनो मे रोजगार के अवसर को तलाशने ,की दिशा मे हर मोर्चे पर अग्रसर है. मुठ्ठी भर सामजिक वैज्ञानिक सोच भी हमारे समाज की काया पलट कर सकते है जरूरत है सही मार्गदर्शन, सही और जरूरत मन्दो कीपहचान तथा विश्वसनीय सूचनाओ का त्वरित प्रचार. इसी कडी मे सामाजिक गतिविधियो से दूर,समाज के शिक्षित वर्गो मे भी जागृती आयी है. और सूचनाओ के त्वरित प्रसार के लिये इलेक्टॢानिक मिडिया को उपयोग करने का नीव ” ग्रोइंग जनरेशन मरार टोली ” के द्वारा लायी गयी है. इस टोली के द्वारा शिक्षितो को जोडने का काम कुमारी डाली माने के द्वारा शुरू किया गया है. अब इस समूह मे लगभग हर क्षेत्र के मजे हुये लोग समाज के लिये अपना शत प्रतीशत देने के लिये एकदम तैयार है. (भारतेन्द्र पन्चेशवर {प्रबन्धन}, कमल पन्चेशवर व विनोद नागेश्वर {सिविल}, दिनश पन्चेशवर {कृ्षि}, विनोद पाचे, स्वतन्त्रा बाहे, हेमन्त गाडेश्वर { कम्प्यूटर & सूचना प्रणाली }, मनोज व् कैलाश पन्चेशवर {चिकित्सा} , भुपेन्द्र पन्चेश्वर, कमलेश बाहे, यशवन्त खरे, मुकेश भावरे व नरेश जम्भारे{ फार्मा } , प्रानेश कावरे { मेकेनिकल } डाली माने { एकाउन्ट } ) शिक्षा के क्षेत्र मे जमीनीस्तर पर अनेक लोग गाव से लेकर शहर तक है.
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