कुशवाहा जाति के समकक्ष हैं हार्दिक पटेल
गुजरात के पाटीदार आंदोलन ने हिंदी पट्टी में भी सामाजिक स्तर पर एक हलचल ला दी है। हार्दिक पटेल के नेतृत्व में चल रहा गुजरात का पाटीदार आंदोलन अपने आप में भ्रमित है। पाटीदार लोग दशकों से वहां ओबीसी के खिलाफ एक आंदोलन चलाते रहे हैं। अब वे स्वयं ओबीसी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। यह इसका एक दिलचस्प पहलू है। दूसरी ओर जाति के आधार पर हार्दिक का संबंध कुर्मी जाति से आने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जोडा जा रहा है। शायद इसी कारण नीतीश कुमार ने भी पाटीदार आंदोलन का समर्थन कर दिया है। लेकिन वास्तविकता इससे थोड़ी अलग है।
(एस रवि, वरीय पत्रकार)
हिंदी क्षेत्र के लिए पाटीदार आंदोलन के मायने
पहले पाटीदारों को जानें। गुजरात की पाटीदार जाति प्राय: ‘पटेल’ सरनेम का उपयोग करती है। वहां इस जाति में चार प्रमुख उपजातियां हैं। ‘लेऊवा (लेवा) पटेल’, ‘कडवा पटेल’, ‘अनजाना पटेल (चौधरी पटेल)’ और ‘मटिया पटेल’। इनमें चौधरी और मटिया पटेल पहले से ही आरक्षण के दायरे में आते हैं। लेऊवा और कडवा पटेलों को आरक्षण से बाहर रखा गया है। अब सवाल यह उठता है कि हिंदी पट्टी में कौन सी जातियां इन पटेलों के समकक्ष हैं?
जातियों के स्रोत
जातियों की समकक्षता ढूढने के चार प्रमुख स्रोत होते हैं। पहला, उनका पारंपरिक पेशा। दूसरा, हिंदू धर्म में लिपटे मिथकों में इन जातियों के उद्भव की कथा। तीसरा, इन जातियों द्वारा स्वयं के बारे में किये गये दावे तथा चौथा, विभिन्न इतिहासकारों और नृतत्वशास्त्रियों द्वारा किये गये भू-क्षेत्रीय अध्ययन। इन चारों ही स्रोतों के अध्ययन के आधार पर इनमें से लेउवा पटेल हिंदी पट्टी के कुर्मी हैं, जबकि कडवा पटेल कोईरी (कुशवाहा/ सैनी)। लेऊवा बडे जोतदार हैं जबकि कडवा अपेक्षाकृत छोटी जोतों के मालिक हैं। कडवा पटेल का पारंपरिक पेशा सब्जी उत्पादन व अन्य प्रकार का कृषि संबंधित कर्म रहा है। जबकि लेऊवा पटेल पारंपरिक रूप से रक्षा कर्म (क्षत्रीय) से भी जुडे रहे हैं। बाद में वे भी कृषि कर्म से जुडे़। हिंदी पट्टी के कुर्मी और कोईरी की ही तरह, लेउवा खुद का राम के पुत्र लव का वंशज मानते हैं, जबकि कडवा कुश का । लेऊवा शब्द लव से बना है, जबकि कडवा कुश से। हिंदी पट्टी की ही तरह गुजरात में भी कुर्मियों की हालत कुशवाहों से बेहतर है। (लेऊवा और कडवा पटेल के विस्तृत इतिहास के लिए विकीपीडिया देखें)
बिहार से जुड़ाव
पटेलों की उपजाति चौधरी पटेल की स्थिति बिहार, उत्तर प्रदेश में पायी जाने वाली उस धानुक जाति के समकक्ष है, जिससे हिंदी के प्रमुख कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु आते थे। जबकि मटिया पटेल झारखंड की महतो जाति के समकक्ष हैं, जो कि मूल रूप से आदिवासी है। दरअसल, गुजरात का ‘पटेल’ सरनेम बिहार-झारखंड में प्रचलित ‘महतो’ सरनेम की तरह है, जिनके अंतर्गत कोईरी, कुर्मी, धानुक व झारखंड के आदिवासी महतो भी आते हैं। गुजरात का आरक्षण आंदोलन मुख्य रूप से कडवा (कुशवाहा) का है। लेऊवा (कुर्मी) भी उनके साथ हैं।
दरअसल, हिंदी पट्टी में भी कोइरी और कुर्मी जाति पारंपरिक रूप से लेउवा और कडवा की ही तरह एक-दूसरे के हितों से पारस्परिक रूप से जुडी थीं, लेकिन आजादी के बाद के वर्षों में कुछ राजनीतिक लोगों के निहित स्वार्थों के कारण इन दोनों के बीच दूरी बनी, जिसे मंडलोत्तर नेताओं ने और बढ़ाया।
चैनलों ने बतायी जाति
हार्दिक पटेल कडवा पटेल हैं। विभिन्न टीवी चैनलों पर भी यह बात बतायी गयी है। यानी, वे हिंदी पट्टी के कुशवाहा हैं। हिंदी पट्टी में कुशवाहों के प्रमुख नेता जगदेव प्रसाद हुए हैं। उत्तर प्रदेश के बाबूलाल कुशवाहा हरियाणा के राजकुमार सैनी बिहार के उपेद्र कुशवाहा, प्रेमकुमार मणि, शकुनी चौधरी आदि इसी जाति से आते हैं। 1931 की जनगणना के अनुसार हिंदी पट्टी में कुशवाहा जाति की संख्या यादव जाति के बाद सबसे ज्यादा है।
यानी, हिंटी पट्टी से हार्दिक पटेल को समर्थन मिलने मतलब है संख्या बल में एक बड़ी जाति का समर्थन मिलना। नीतीश कुमार द्वारा दिये गये वक्तयों के बाद उन्हें कुर्मी जाति समर्थन तो पहले ही हासिल हो गया है। हां, हिंदी पट्टी की कोईरी और कुर्मी जातियों को इस समर्थन से राजनीतिक रूप से क्या हासिल होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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जवाब देंहटाएंSanjay Kumar maurya villa. Piprakhalli post bargadwa haraiya dist maharaj ganj up MO no 8479028237 title koiri gotra surya banSi
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