रविवार, 8 अप्रैल 2018

ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के बीच पारसमणि धारक
 ऐतिहासिक केराड़ू नगरी
ऐतिहासिक जानकारों का मानना है कि कालचक्र की गति, समय के बीतने के साथ प्राकृतिक विपदाओं से घटित उठा-पटक का परिणाम क्षतिग्रस्त स्थापत्य कला के नमूने- बड़ी-बडी हवेलियांे के खम्भे, गुम्बजों के अवशेष, जगह-जगह पर बने भग्नावशेष राजमहल, जल प्रबन्धन के लिए बनाए गए बड़े सूखे तालाब, नदियों के नाले, बहते हुए झरनों के निशान, पहाड़ों के बीच खेती के लिए बनाये गये बड़े-बड़े मैदान, पशुपालन व्यवस्था, पगडण्डिों के रूप में बिछाई गई पत्थरों की चिनाई जो कि सड़कों का आभास कराती है।
 यह सारा दृश्य अपने आप में एक कहानी कहता है कि कभी यहां बहुत बड़ी राजशाही व्यवस्था के अन्तर्गत विशाल नगरी थी। 
इतिहासकारों का यह भी मानना है कि आज का यह अन्तर्राष्ट्रीय प्रख्यात पर्यटक स्थल कभी बाढ़ाणा था जो समय के पहिये के साथ चलकर वर्तमान बाड़मेर शहर के रूप में ठहर गया।  
इसी केराड़ू स्थान पर सांखला राजपूत वंश का आधिपत्य था.

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