रविवार, 8 अप्रैल 2018

परमार(पवार) वंश की कुलदेवी

          राजा वीर विक्रमादित्य जी देवी हरसिद्धि के परम् भक्त थे। हरसिद्धि देवी को नवरात्रि में शीश दान करते थे। और देवी जीवनदान देती थी. लगातार 12 साल ऐसा होने पर शक्ति प्रसन्न होके कहा तेरे कुल में अवतरित होउंगी। लेकिन जब तक मेरी इच्छा विरुद्ध कार्य इच्छा विरुद्ध व्यहवार हुआ, तब से अवतार नही होगा। 
उसके बाद ये अवतार परमार वंश में हुए, जो नीचे लिखे गए हैं।

1-बाकंलशक्ति-धार,चन्द्रावती,उज्जैन कै राजा जगदैव कि राजकुमारी कै रूप मै सर्वप्रथम दैवी अवतार हुआ,उनका प्रसिध्द मन्दिर विरातरा ,चौहटन ( बाडमैर)कै पास मै है पवॉर वंश कि गैलडा साखा कै लौगौ द्वारा पुजा कि जाती है

2-सौहब - भुज रियासत कै साधारण परमार वशींय कुल मै जन्म हुआ

3- हंसावती - इनका जन्म भी भुज रियासत कै साधारण परमार वशींय कुल मै हुआ

4-सच्चियाय- चाहडराव की राजकुमारी, सौढा व साखला जी की बहन कल्याण कंवर है, इनका ही नाम सच्चियाय माँ है. इनका प्राचीन मन्दिर शिव में हे, जहाँ देवी के अवतरण से पहले अपने पिता को सपने में बताया था, कि देवी का अवतार होगा. तब नगर के मुख्य द्वार के स्तम्भ पे हाथो के निशान उकरेंगे वो पत्थर आज भी उस छोटे से मन्दिर में हे और नित्य पूजा होती हे. किराडु बाडमैर व औसिया प्राचीन उकेशपुर दोनों सांखला परमारों की राजधानियां थी जौधपुर मै स्थित है माँ सच्चियाय द्वारा समय समय पर पवॉरौ कि सहायता करनै कै कारण पवॉर वंश कै अधिकतर परिवार इनकौ ही कुलदैवी कै रूप मै पुजतै है 

5- लालर- किराडु रियासत कै राजा भाई अलसी परमार कै घर जनम लिया

6- रूपादै-दुधवा (तिलवाडा)कै साधारण पवॉर वंश कै राजपूत बाजाबद्राजी वाला के घर जन्म लिया पूर्व जन्म में लालर ने मालाणी के मल्लिनाथ को वचन दिया था और उसी वचन निभाने को शादी हुई मल्लिनाथ जी से राणी रूपादे वे ही थी

7-परमार वंस में देवी अवतार मालण शक्ति का गढ़ जानरा हाल जैसलमेर में खुहडी के पास जहाँ माँ का भव्य मन्दिर हे 
      जानरा के राव वेरीशाल की कुंवरी जागा व् वरण की बहन मालण का इच्छा विरुद्ध विवाह रचा, जहाँ चंवरी लग्न मण्डप से ही माँ स्वर्ग उसी देह सिधारी दूल्हे को भी साथ लिया हथलेवा जोड़े वो डर गया और बोला बहन मुझे छोड़ दो तो श्राप दिया गुहड़ थे जा गन्दगी खा वो गुहड़ नाम का एक जानवर चील जेसा होता हे वो बाझ बन गया, जो आज भी बाड़मेर जैसलमेर में बहुत हैं ।

दोहा- कहा गया "घर बले जागा रा मालण देवी स्वर्ग सिधारया।" आज भी जानरा में घर के मुख्य कमरे को ताला नही होता हे, कभी चोरी नही हुई देवी के हाजर हुजूर पर्चे हे कई मन्दिर भी हे.
जाते हुए देवी ने परमारों से कहा, अब मेरा वचन पूरा हुआ।

# श्री रामचन्द्र सिंह रैकवार जी की वॉल से साभार#

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