चूरू। लोक संस्कृति शोध संस्थान नगर श्री के सभागार में पं. कुंजबिहारी शर्मा स्मृति साहित्य गोष्ठी में बीकानेर के साहित्यकार डा.मदन सैनी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सुधि श्रोताओं को चिंतन करने पर मजबूर कर दिया।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार बैजनाथ पंवार ने सैनी की कविताओं व कहानियों को प्रासंगिक बताया। कवि प्रदीप शर्मा ने सैनी के रचना संसार पर चर्चा की। गोष्ठी में सैनी ने अपनी कहानियों तथा कविताओं के माध्यम से जीवन की अनुभूतियों का सरस यथार्थ मर्मस्पर्शी चित्रण प्रस्तुत कर श्रोताओं से खूब वाह-वाही लूटी।
उनकी राजस्थानी कविता मिनख बणनै बापू मनै गया ले गांव मदरसै.., मुरगियां नीं भेड़ां हां म्है ने श्रोताओं को खूब प्रभावित किया। सैनी की आतंकी अणपर हे राम , हिन्दी कविताओं में उड़ते पंछी को देख नन्हे ने सोचा मैं भी उडूं नभ में और वर्तमान राजनीतिक के पिरपेक्ष्य पर व्यंग्य टोपी चिलक रही है ऊपर जनता तड़फ रही भू पर सैनी को श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रोत्साहित किया। सैनी की रचना मंडराते बादल काले महंगाई जनसंख्या वाले, मुझको मेरा गांव मनोहर और उजले पीले ये रेतीले धोरे कहो या टीले आदि कविताओं को श्रोताओं ने खूब पसंद किया।
कहानियों के दौर में मर्मस्पर्शी कहानियां फुर्सत, भोली बातां, दीठ और दया सुनाकर श्रोताओं के मानस को झकझोरा। चर्चा में बालिका महाविद्यालय के निदेशक सोहनसिंह दुलार, दुलाराम सहारण, राजेन्द्र कुमार शर्मा व मोहनलाल अर्जुन ने भाग लिया। सहित्यकारों ने सैनी की रचनाओं पर विचार प्रकट किए। साहित्यकार पंवार व कवि शर्मा ने डा.मदन सैनी को सम्मानित किया। संचालन प्रो कमल कोठारी ने किया।
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