शनिवार, 31 अगस्त 2019

षिरोमणि श्री लिखमीदास जी महाराज का जीवन परिचय


द्वारकाधीष के अवतार बाबा रामदेव के प्रति आपकी अगाध श्रद्धा एवं भक्ति भावना थी। 
आप अपने पैतृक कृशि कर्म को करते हुए ही श्री हरि का गुणगान किया करते, रात्रि जागरण में 
जाया करते तथा साधु-संतो के साथ बैठकर भजन-कीर्तन करते थे। ऐसा कहा जाता है कि 
महाराज श्री जब भी भजन- कीर्तन के लिए कहीं जाया करते थे तो उनकी अनुपसिथति में 
भगवान द्वारकाधीष स्वयं आकर उनके स्थान पर फसल की सिंचार्इ (पाणत) किया करते थे।



मनुश्य जीवन को प्राप्त कर 'मानवता नहीं रखी जाय तो मनुश्य जन्म कैसा?
महाराज श्री ने जीव मात्र के प्रति दया अपने ह्रदय में धारण कर, मनुश्यों का
 सदैव हित साधन कर अपना मानव जीवन सार्थक किया। संत षिरोमणि ने
सदा निर्विकार भाव से सादगीपूर्ण जीवन जीया। 
आप मिथ्या अभिमान, निंदा, आत्मष्लाघा, पाप कर्म एवं
 अनैतिकता से सदा दूर रहे।
 ऐसे महापुरुश कभी किसी जाति, धर्म या सम्प्रदाय के नहीं होते अपितु
 सबके होते हैं। षुद्ध सातिवक भाव से कर्तव्य कर्म करते रहना और
अन्त में श्री भगवान का गुणगान करते हुए उसी में लीन हो जाना।
 षायद इसी महामन्त्र को महाराज श्री ने अपने जीवन में अपनाया
 और अन्त में परमात्मा तत्व में विलीन हो गये। आइये! नमन करें ऐसी
दिव्य विभूति को, प्रेरणा लेते हैं ऐसे अनन्य स्वरूप् से-जिन्होंने 
अपना भौतिक स्वरूप (देह) माली-सैनी समाज में प्राप्त कर
इसे गौरवानिवत किया।
 दान-दया-धर्म-अहिंसा-मानवता की प्रतिमूर्ति बनकर युगों-युगों
के लिए हमारी प्रेरणा के स्रोत बन गये।
 हमें भी महाराज श्री लिखमीदासजी के जीवन-आदेर्षों को अपना
 कर मनुश्य धन्य करना चाहिए।






























लिखमीदास जी महाराज महाराज के समाधि स्थल: र्इष्वर भक्ति कि साक्षात प्रतिमूर्ति
महाराज  श्री लिखमीदासजी की समाधि नागौर जिला मुख्यालय से 8 किमी दूरी पर
 सिथत अमरपुरा ग्राम में है। 
यहां आपके वंष के ही परिवार आज भी पिवास करते हैं।
महाराज श्री की समाधि के अतिरिक्त यहां 2-3  अन्य वंषों के संतों की समाधियां भरी हैं।
 र्इष्वर के अनन्य भक्त श्री लिखमीदासजी महाराज का समाधि स्थल
 होने के कारण यह स्थल करोडों लोगों की आस्था का केन्द्र है।
देष-प्रदेष-विदेष से यहां आने वाले दर्षनार्थियों का सदैव तांता लगा रहता है।
माली समाज के अलावा अन्य जाति, धर्म एवं समुदाय के 
श्रद्वालु भक्त भी यहां आकर कथा-कीर्तन सत्संग भजन रात्रि जागरण आदि
का आयोजन भी करते हैं।
 जिला मुख्यालय नागौर सडक मार्ग से जुडा होने के कारण यहां
यातायात के साधनों की कोर्इ कमी नहीं है।
 निकटतम रेलवे स्टेषन नागौर ही है। नागौर से बस टैक्सी टैम्पो
आदि यात्रियों के लिए सदैव सुलभ हैं।
 यातायात साधनों की सुलभता से यहां श्रद्वालुओ का आना-जाना बना रहता है

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