सांखला
-परमार चाहड़राव रै घरवासै अपछरा हुती जिणसूं बेटा दोय इणरेै हुवा । दोनों बांधवां संख बजायौ, जिणसूं बाघ रै वंस रा सांखला कहाणा ।......बेटा दोय -अेक सोढ़ौ, दूजौ सांखलौ । बेटी मायदे सगत हुई । तीजी बेटी देवी कल्यांणकंुवर अपछरा सूं हुई । 15/139.
-रासीसर सांखलो खीमसी रायसलरो बेटो रहै । दहिया जांगळू राज करै । दहियांरो ब्राह्मण गूजरगोड केसो है जिण दहियांनै कह्यो- थे कहो तो हूं जांगळू अमकै ठिकाणै तळाई खिणाऊं । दहियां कह्यो-अमकै ठिकाणै तो घोड़ा दौड़ाबारों सराड़ो है, अठै तळाई मत खिणाव । जद खीमसी सांखलासूं केसो मिलियो । खीमसी कनैसूं दहिया मराय जांगळू खीमसीरो अमल करायो । पछै केसो ‘केसोतळाई’ जांगळू खिणाई ।... रायसलरौ खीमसी चरूंसूं गाळ गाळ जिण वीठूनूं दोयड़ पसाव दिया, पोळपात थापियो । इणरी बेटी उमा गढ़ गागुरण खीची अचळदासनूं परणाई । 15/139.
-वैरसी माताजीरी इंछना मन में करी - ‘म्हारै बापरो वैर बळै । गैचंद हाथ आवै तो हूं कंवळपूजा करनै श्री सचियायजीनूं माथो चढ़ाऊं ।’ पछै सचियायजी आय सुपनै में हुकम दियो, वांसै हाथ दिया नै कह्यो- ‘काळै वागै, काळी टोपी, वैहलरै काळी खोळी, काळा बळद जोतरियां, जिंदारै रूप कियां सांम्हां मिळसी । ओ गैचंद छै, तू मत चूकै, कूट मारै।’ पछै वैरसर मूंधियाड़ ऊपर फौज लेने दौडि़यो । सांम्हां उण रूप आयो, सु गैचंद मारियो । पछै ओसियां जात आयो । आप एकंत देहुरो जड़नै कंवळपूजा करणी मांडी। तरै देवीजी हाथ झालियो, किह्यो- ‘म्हैं थारी सेवा-पूजासौं राजी हुवा, तांनै माथो बगसियो, तूं सोनारो माथो कर चाढ़ ।’ आपरै हाथरो संख बैरसीनूं दियो, कह्यो- ‘ओ संख वजायनै सांखळो कहाय ।’ 10/324-5.
-चाचग ऊपर मांडवरो पातसाह आयो थो । तिणसूं लड़ाई हुई । पातसाह भागो । नगारा नीसांण पड़ाय लिया । तिणसूं सांखला नादेत-नीसांणोत कहावै छै । 10/325.
-रासीसर सांखलो खीमसी रायसलरो बेटो रहै । दहिया जांगळू राज करै । दहियांरो ब्राह्मण गूजरगोड केसो है जिण दहियांनै कह्यो- थे कहो तो हूं जांगळू अमकै ठिकाणै तळाई खिणाऊं । दहियां कह्यो-अमकै ठिकाणै तो घोड़ा दौड़ाबारों सराड़ो है, अठै तळाई मत खिणाव । जद खीमसी सांखलासूं केसो मिलियो । खीमसी कनैसूं दहिया मराय जांगळू खीमसीरो अमल करायो । पछै केसो ‘केसोतळाई’ जांगळू खिणाई ।... रायसलरौ खीमसी चरूंसूं गाळ गाळ जिण वीठूनूं दोयड़ पसाव दिया, पोळपात थापियो । इणरी बेटी उमा गढ़ गागुरण खीची अचळदासनूं परणाई । 15/139.
-वैरसी माताजीरी इंछना मन में करी - ‘म्हारै बापरो वैर बळै । गैचंद हाथ आवै तो हूं कंवळपूजा करनै श्री सचियायजीनूं माथो चढ़ाऊं ।’ पछै सचियायजी आय सुपनै में हुकम दियो, वांसै हाथ दिया नै कह्यो- ‘काळै वागै, काळी टोपी, वैहलरै काळी खोळी, काळा बळद जोतरियां, जिंदारै रूप कियां सांम्हां मिळसी । ओ गैचंद छै, तू मत चूकै, कूट मारै।’ पछै वैरसर मूंधियाड़ ऊपर फौज लेने दौडि़यो । सांम्हां उण रूप आयो, सु गैचंद मारियो । पछै ओसियां जात आयो । आप एकंत देहुरो जड़नै कंवळपूजा करणी मांडी। तरै देवीजी हाथ झालियो, किह्यो- ‘म्हैं थारी सेवा-पूजासौं राजी हुवा, तांनै माथो बगसियो, तूं सोनारो माथो कर चाढ़ ।’ आपरै हाथरो संख बैरसीनूं दियो, कह्यो- ‘ओ संख वजायनै सांखळो कहाय ।’ 10/324-5.
-चाचग ऊपर मांडवरो पातसाह आयो थो । तिणसूं लड़ाई हुई । पातसाह भागो । नगारा नीसांण पड़ाय लिया । तिणसूं सांखला नादेत-नीसांणोत कहावै छै । 10/325.
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