गूगल ने डूडल बनाकर दी भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले को श्रद्धांजलि
नई दिल्ली: आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का 3 जनवरी को जन्मदिन होता है। महिलाओं को शिक्षित करने में इनका भारी योगदान रहा। आज गूगल भी फुले के 186वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। डूडल ने सावित्रीबाई को अपने आंचल में महिलाओं को समेटते दिखाया है
एक भारत जहां महिलाओं को शिक्षा देना जरुरी नहीं माना जाता था। उस जमाने में सावित्री बाई ने महिलाओं के आधुनिक स्कूल खोला था और उसमे शिक्षिका के रूप में काम करने लगी। पहली बार 1848 में पुणे में देश का पहला आधुनिक महिला स्कूल खोला गया था। जिसमें 9 लड़कियों ने दाखिला लिया था।
सन् 1831 में महाराष्ट के सतारा जिले के नायगांव में जन्मी सावित्री की 9 साल में ही पूना के ज्योतिबा फुले के साथ हो गई। ज्योतिबा फुले ने ही सावित्री को पढ़ना लिखना सिखाया था। जब वह 17 साल की हुईं इस दंपति ने लड़कियों और महिलाओं के लिए पुणे के भीडेवाड़ा में पहला स्कूल खोला। रूढ़िवादी भारतीय समाज में इस कदम को ऐतिहासिक माना गया।
भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने बाल विवाह, सती प्रथा, सामाजिक भेदभाव जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ उन्होनें आवाज उठाई। महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। 1 जनवरी 1848 से लेकर 15 मार्च 1852 के दौरान सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने बिना किसी आर्थिक मदद और सहारे के लड़कियों के लिए 18 विद्यालय खोले।
प्लेग के मरीजों की सेवा करते हुए सावित्री बाई खुद इस बीमारी का शिकार हो गई और 10 मार्च 1897 में उनका निधन हो गया था। लगभग 18 दशक बाद महाराष्ट्र सरकार ने सावित्रीबाई फुले के सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय कर दिया।
नई दिल्ली: आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का 3 जनवरी को जन्मदिन होता है। महिलाओं को शिक्षित करने में इनका भारी योगदान रहा। आज गूगल भी फुले के 186वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। डूडल ने सावित्रीबाई को अपने आंचल में महिलाओं को समेटते दिखाया है
एक भारत जहां महिलाओं को शिक्षा देना जरुरी नहीं माना जाता था। उस जमाने में सावित्री बाई ने महिलाओं के आधुनिक स्कूल खोला था और उसमे शिक्षिका के रूप में काम करने लगी। पहली बार 1848 में पुणे में देश का पहला आधुनिक महिला स्कूल खोला गया था। जिसमें 9 लड़कियों ने दाखिला लिया था।
सन् 1831 में महाराष्ट के सतारा जिले के नायगांव में जन्मी सावित्री की 9 साल में ही पूना के ज्योतिबा फुले के साथ हो गई। ज्योतिबा फुले ने ही सावित्री को पढ़ना लिखना सिखाया था। जब वह 17 साल की हुईं इस दंपति ने लड़कियों और महिलाओं के लिए पुणे के भीडेवाड़ा में पहला स्कूल खोला। रूढ़िवादी भारतीय समाज में इस कदम को ऐतिहासिक माना गया।
भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने बाल विवाह, सती प्रथा, सामाजिक भेदभाव जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ उन्होनें आवाज उठाई। महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। 1 जनवरी 1848 से लेकर 15 मार्च 1852 के दौरान सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने बिना किसी आर्थिक मदद और सहारे के लड़कियों के लिए 18 विद्यालय खोले।
प्लेग के मरीजों की सेवा करते हुए सावित्री बाई खुद इस बीमारी का शिकार हो गई और 10 मार्च 1897 में उनका निधन हो गया था। लगभग 18 दशक बाद महाराष्ट्र सरकार ने सावित्रीबाई फुले के सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय कर दिया।
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