रविवार, 13 फ़रवरी 2022

<b>ध्यानार्थ -
हरियाणा के सैनी समाज के बारे में जानकारी
श्रीमान जी आपके ब्लोग पर दी गई जानकारी पढ कर अच्छा लगा ..आप समाज को जागृत करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं लेकिन आपकी राज्यवार दी गई जानकारी अधुरे रिसर्च पर आधारित लग रही है ..हरियाणा में सैनी जाति को 1995 में पिछड़े वर्ग में शामिल किया गया जिसे 1996 में केन्द्र में भी ओबीसी का दर्जा मिला l उस समय सरकार द्वारा इस जाति को सैनी और शाक्य के रूप में सूचिबद्ध किया गया था इसके अलावा इसकी अन्य कोई उपजाति या उपनाम नहीं है l बाद में उत्तरप्रदेश और बिहार राज्यों से हरियाणा में बसे सैनी समाज के सजातीय बंधु जो कुशवाहा, मौर्य और कोईरी उपनाम का प्रयोग करते हैं उनके द्वारा सरकार को पत्र लिख कर कुशवाहा, मौर्य और कोईरी को सैनी और शाक्य के पर्यायवाची के तौर पर ओबीसी में शामिल कराने के प्रयास किये जिसके फलस्वरूप 2014 में इन प्रयासों में सफलता मिली l महोदय आप यह दूरुस्त कर लें कि हरियाणा में इस समुदाय की पहचान सैनी,शाक्य,मौर्य,कोईरी,कुशवाहा के रूप में हैं l गहलोत और माली हरियाणा सरकार के किसी भी दस्तावेज में प्रयुक्त नहीं होते हैं l गहलोत हरियाणा के सैनी समाज के लगभग 250 गोत्रों में से एक है जो राजस्थान सीमा के साथ लगते क्षेत्र में बहुत ही कम संख्या में है l और माली शब्द हरियाणा की अधिकारिक जातियों की सूचि में में कहीं नहीं मिलता है l इसलिये यह जानकारी दुरूस्त करने का कष्ट करें और समाज को जागरूक करने के प्रयास ऐसे ही करते रहें .... साधुवाद .... कुलदीप सिंह सैनी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें