राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के संस्थापक और बिहार के काराकट से सांसद उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक सफर
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के संस्थापक और बिहार के काराकट से सांसद उपेंद्र कुशवाहा मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने उपेंद्र कुशवाहा शिक्षक, शिक्षाविद् और किसान भी हैं. नजर डालते हैं उपेंद्र कुशवाहा से जुड़ी कुछ खास बातों पर-
1. उपेंद्र कुशवाहा पूर्व राज्य सभा सदस्य और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष हैं.
2. उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की स्थापना 3 मार्च 2013 में की. अपनी पार्टी के नाम और झंडे का अनावरण बड़े प्रभावशाली ढंग से गांधी मैदान में एक ऐतिहासिक रैली से किया.
3. फरवरी 2014 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गई. 2014 के आम चुनाव में RLSP ने बिहार से तीन सीटों सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद पर चुनाव लड़ा. मोदी लहर पर सवार RLSP ने इस चुनाव में तीनों सीटों पर जीत हासिल की.
4. उपेंद्र कुशवाहा का जन्म 2 फरवरी 1960 को बिहार के वैशाली में एक मध्यम वर्गीय हिंदू क्षत्रीय परिवार में हुआ. उन्होंने पटना के साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया. कुशवाहा ने समता कॉलेज के राजनीति विभाग में लेक्चरर के तौर पर भी काम किया.
5. उपेंद्र कुशवाहा ने 1985 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा. 1985 से 1988 तक वे युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहें और 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव बने रहें. 1994 में समता पार्टी का महासचिव बनने के साथ ही उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व मिलने लगा. इस पद पर वे 2002 तक रहें. सन 2000 से 2005 तक कुशवाहा बिहार विधान सभा के सदस्य रहें और विधान सभा के उप नेता नियुक्त किए गए.
6. उपेंद्र कुशवाहा को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के दौरान ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
7. उपेंद्र कुशवाहा को बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों में से एक कहा जाता था. ऐसा माना जाता था कि नीतीश कुमार ने ही कुशवाहा के 2004 में बिहार विधान सभा का नेता प्रतिपक्ष बनने पर समर्थन दिया, बाद में कुशवाहा और नीतीश के संबंधों में खटास आ गई.
8. उपेंद्र बिहार विधानसभा के लिए सन 2000 में निर्वाचित हुए. विधानसभा में समता पार्टी के उप नेता बन गए और 2004 तक इस पद पर बने रहें. मार्च 2004 को कुशवाहा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने और फरवरी 2005 तक सफलतापूर्वक अपनी जिम्मेदारी निभाने में कामयाब रहे.
9. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को जद (यू) और विशेष रूप से नीतीश कुमार के साथ समस्या होने लगी. तब पहली बार वे पार्टी से अलग हो कर नेशनल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. राकांपा के बिहार प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल सफल नहीं रहा.
10. कुशवाहा फिर से जद (यू) में शामिल हुए और नीतीश से झगड़ा निपटा लिया. कुशवाहा के राजनीतिक कैरियर में जबरदस्त उछाल आया. जुलाई 2010 में वे राज्य सभा के सदस्य बनने के साथ ही अगस्त में कृषि समिति के सदस्य भी बनें.
11. जद (यू) के साथ कुशवाहा अपने नए सिरे से संबंधों को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाए और फिर से पार्टी छोड़ दी. राज्य में कुशवाहा ने अल्पसंख्यकों और पिछड़ी जातियों के समर्थन से अपनी स्थिति मजबूत कर ली. कुशवाहा का अभियान विशेष तौर पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के खिलाफ था.
12. मई 2014 में कुशवाहा को ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया. नवम्बर 2014 को कैबिनेट के फेरबदल के दौरान उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का राज्य मंत्री बना दिया गया.
सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने उपेंद्र कुशवाहा शिक्षक, शिक्षाविद् और किसान भी हैं. नजर डालते हैं उपेंद्र कुशवाहा से जुड़ी कुछ खास बातों पर-
1. उपेंद्र कुशवाहा पूर्व राज्य सभा सदस्य और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष हैं.
2. उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की स्थापना 3 मार्च 2013 में की. अपनी पार्टी के नाम और झंडे का अनावरण बड़े प्रभावशाली ढंग से गांधी मैदान में एक ऐतिहासिक रैली से किया.
3. फरवरी 2014 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गई. 2014 के आम चुनाव में RLSP ने बिहार से तीन सीटों सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद पर चुनाव लड़ा. मोदी लहर पर सवार RLSP ने इस चुनाव में तीनों सीटों पर जीत हासिल की.
4. उपेंद्र कुशवाहा का जन्म 2 फरवरी 1960 को बिहार के वैशाली में एक मध्यम वर्गीय हिंदू क्षत्रीय परिवार में हुआ. उन्होंने पटना के साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया. कुशवाहा ने समता कॉलेज के राजनीति विभाग में लेक्चरर के तौर पर भी काम किया.
5. उपेंद्र कुशवाहा ने 1985 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा. 1985 से 1988 तक वे युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहें और 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव बने रहें. 1994 में समता पार्टी का महासचिव बनने के साथ ही उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व मिलने लगा. इस पद पर वे 2002 तक रहें. सन 2000 से 2005 तक कुशवाहा बिहार विधान सभा के सदस्य रहें और विधान सभा के उप नेता नियुक्त किए गए.
6. उपेंद्र कुशवाहा को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के दौरान ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
7. उपेंद्र कुशवाहा को बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों में से एक कहा जाता था. ऐसा माना जाता था कि नीतीश कुमार ने ही कुशवाहा के 2004 में बिहार विधान सभा का नेता प्रतिपक्ष बनने पर समर्थन दिया, बाद में कुशवाहा और नीतीश के संबंधों में खटास आ गई.
8. उपेंद्र बिहार विधानसभा के लिए सन 2000 में निर्वाचित हुए. विधानसभा में समता पार्टी के उप नेता बन गए और 2004 तक इस पद पर बने रहें. मार्च 2004 को कुशवाहा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने और फरवरी 2005 तक सफलतापूर्वक अपनी जिम्मेदारी निभाने में कामयाब रहे.
9. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को जद (यू) और विशेष रूप से नीतीश कुमार के साथ समस्या होने लगी. तब पहली बार वे पार्टी से अलग हो कर नेशनल कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. राकांपा के बिहार प्रमुख के तौर पर उनका कार्यकाल सफल नहीं रहा.
10. कुशवाहा फिर से जद (यू) में शामिल हुए और नीतीश से झगड़ा निपटा लिया. कुशवाहा के राजनीतिक कैरियर में जबरदस्त उछाल आया. जुलाई 2010 में वे राज्य सभा के सदस्य बनने के साथ ही अगस्त में कृषि समिति के सदस्य भी बनें.
11. जद (यू) के साथ कुशवाहा अपने नए सिरे से संबंधों को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाए और फिर से पार्टी छोड़ दी. राज्य में कुशवाहा ने अल्पसंख्यकों और पिछड़ी जातियों के समर्थन से अपनी स्थिति मजबूत कर ली. कुशवाहा का अभियान विशेष तौर पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के खिलाफ था.
12. मई 2014 में कुशवाहा को ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया. नवम्बर 2014 को कैबिनेट के फेरबदल के दौरान उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का राज्य मंत्री बना दिया गया.
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