माली समाज का इतिहास
माली समाज हिन्दू धर्म की एक जाति है जो पारम्परिक बागवानी का कार्य करते थे |
माली समाज को हम फूलमाली भी कहते है क्यूंकि ये प्रारम्भ से ही फूलो का कारोबार करते है माली समाज मुख्यतः उत्तरी भारत ,पश्चिमी भारत , महाराष्ट्र और नेपाल के तराई इलाको में रहते है माली समुदाय को राजपूत माली के नाम से जाना जाता है |
माली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द मला से लिया गया है |
माली समाज को उनके द्वारा किये जाने वाले अलग अलग कार्यो के अनुसार बांटा गया है
- देउली माली :- देवताओं की पूजा करने वाले माली
- बागवान :- बागवानी करने वाले माली
- धन्न्कुट या कुटा माली :- चावल की फसल बोने वाले माली
- सासिया माली :- घास काटने और बेचने वाले माली
- जदोंन माली :- सब्जी उगाने और बेचने वाले माली
- फूल माली :- देवताओं के लिए फूल उगाने वाले माली
- गोला माली :- गंगा और हरिद्वार के पास रहने वाले माली
- माथुर माली
- रोहतकी माली
- दिवाली माली
- महार माली
- वर माली
- लोढ़ माली
- जीरा माली
- घास माली
माली समुदाय में कई अंतर्विवाही माली है |
सभी माले समुदाय का एक ही उत्पत्ति , इतिहास , रीती रिवाज ,सामाजिक स्थान नहीं है
लेकिन माली समाज को राजस्थान के मारवार के राजपूत माली को
1891 की रिपोर्ट से प्रारम्भ बताया जाता है
माली समुदाय को 1930 के ब्रिटिश राज के दौरान “सैनी ” उपनाम दिया गया जो आज तक स्थापित है
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