शनिवार, 24 दिसंबर 2011

MALI SAMAJ- BHOI MALI Bhois (मराठी: महाराष्ट्र में) एक जातीय समुदाय है जो मूल रुप से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी उड़ीसा और आंध्र प्रदेश राज्यों के मूल निवासी हैं । महाराष्ट्र मे भोइ मूल रुप से मुंबई मै रह्ते थे नासिक,धुलिया, जलगांव, अहमदनगर, पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापुर, रत्नागिरी और महाराष्ट्र के शोलापुर जिलों। में वर्तमान में, भोई समुदाय के लोग पूरे महाराष्ट्र व राजस्थान मे निवास करते है। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, महाराष्ट्र ये में खानाबदोश जनजातियों की सूची में शामिल किये गये ; महाराष्ट्र में भोई समुदाय को कुल 22 उप समूहों मे बाटा गया। 13 वीं सदी के दौरान राजा भीमदेव के शासनकाल मे ये राजस्थान से मुंबई चले गए थे महाराष्ट्र में,भोई पालकी या डोली वाहक थे। भोई समुदाय को महाराष्ट्र मे 22 उप समूहो मे बाटा गया है। जो इस प्रकार है जिन्गा भोई, परदेश भोई, राज भोई, कहार भोई, गाडिया भोई, धुरिया कहार भोई, कीरत मछया भोई, हान्जी, जाति, केवट , धीवर , डीन्गर, पालेवर,मच्छिन्द्रा, हावाडी, हलहार , जाधव भोई, कोडी भोई, खरे भोई और देवरा भोई। ये परिजन समूहों में अहिरानी भाषा जबकि दूसरों से मराठी भाषा में बोलते हैं। गुजरात में भोई सात उप समूहों, अर्थात भोईराज धीमान जिन्गा भोई या केवट भोई, मच्छिन्द्रा भोई, पालेशवर भोई, कीरत भोई, कहार भोई, पार्बिशिन भोई और श्रीमाली भोई से मिलकर बनता है। समुदाय पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने मे जुड़े रहे हैं। आंध्र प्रदेश में भोई दो उप जातियों बेस्टा और गुन्द्लोदु शामिल हैं, यह मूल रूप से एक ही जाती से निकले है, लेकिन बाद में अंतर्विवाही डिवीजनों में उनके देश के विभिन्न इलाकों के लंबे समय कब्जे के कारण टूट गया। उड़ीसा में भोई दो उप समूहों, अर्थात् जैत्कर और Madkukria से मिलकर बनता है. यह समुदाय विशाल भूमि और गांवों के मुखिया हैं। MALI SAMAJ- HISTORY ” माली ” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द माला से हुई है , एक पौराणिक कथा के अनुसार माली कि उत्पत्ति भगवान शिव के कान में जमा धुल (कान के मेल ) से हुई थी ,वहीँ एक अन्य कथा के अनुसार एक दिन जब पार्वती जी अपने उद्यान में फूल तोड़ रही थी कि उनके हाथ में एक कांटा चुभने से खून निकल आया , उसी खून से माली कि उत्पत्ति हुई और वहीँ से माली समाज अपने पेशे बागवानी से जुडा ………. माली समाज में एक वर्ग राजपूतों कि उपश्रेणियों का है ……….. विक्रम सम्वत १२४९ (११९२ इ ) में जब भारत के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वी राज चौहान के पतन के बाद जब शहाबुद्दीन गौरी और मोहम्मद गौरी शक्तिशाली हो गए और उन्होंने दिल्ली एवं अजमेर पर अपना कब्ज़ा कर लिया तथा अधिकाश राजपूत प्रमुख या तो साम्राज्य की लड़ाई में मारे गए या मुग़ल शासकों द्वारा बंदी बना लिए गए , उन्ही बाकि बचे राजपूतों में कुछ ने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया और कुछ राजपूतों ने बागवानी और खेती का पेशा अपनाकर अपने आप को मुगलों से बचाए रखा , और वे राजपूत आगे चलकर माली कहलाये !

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