<===< ये क्षत्रिय माली समाज के गौत्र है...
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===> क्षत्रिय माली समाज सूयँवंशी ओर चंद्रवंशी है...
ये गौत्र वालो के पूवँज क्षत्रिय थे,फीर माली के
कमँ से अब क्षत्रिय माली/राजपूत माली हुये...
हमारे और राजपुतो के गौत्र,पेटा गौत्र,शाखाये
और कुलदेवी ऐक ही है...
(1) चौहान,देवडा और टांक तीनो ऐक परिवार
के है..और वो चौहानो की शाख है |
ये लोग खुद के गौत्र मे शादी नही करते,
राजपूतो मे बी हम क्षत्रिय मालीयो की
तरह ही है...
(2) परमार और सोंखला गौत्र वाले भाई है...
ये लोग ऐक दुसरे मे शादी नही करते...
वो परमार की शाख है...
(3) राजपुतो की तरह हमारे क्षत्रिय माली
समाज खुद के गौत्र छोड के तय कीये
हुये क्षत्रिय माली समाज के गौत्र मे ही
शादी करते है...
(4) हम सैनी नही कीन्तु क्षत्रिय माली है...
जोधपुर के मंडोर उधान मे राजा महाराजाओ
के राजधराना के और हमारे क्षत्रिय मालीयो
के स्मशान 700 वषॉ से ऐक ही है...
(5) राव ईसर को कहते है, ईसर नीकालने का
अधिकार केवल राजपूतो को ही है |
जोधपुर के मंडोर मे हमारे क्षत्रिय माली
समाज की ओर से होली के दुसरे दिन ईसर
नीकाल के राज महेलो मे जाते है...
(6) नामदार राजस्थान सरकार ने भी हमारे
क्षत्रिय माली कोम्युनीटी को सैनीक क्षत्रिय
नाम के आदेश कीये है...
हम क्षत्रिय माली/सैनीक क्षत्रिय/राजपूत
माली है...
(7) क्षत्रिय माली समाज प्योर शाकाहारी है
और पुरे हीन्दुस्तान मे रहते है...
(8) 1553 मे राजस्थान के नागौरवाल मे क्षत्रिय
माली समाज ने बारह गौत्र की शाखाये
तय की थी,आज बी क्षत्रिय माली समाज
के बारह गौत्र मे ही शादी होते है...
(9) लखमाजी माली ने क्षत्रिय माली समाजमे ही
जन्म लीये थे, क्रीश्र्न भगवानके बडे भकत
थे.लखमाजी महाराज क्षत्रिय माली समाज
के सोलंकी गौत्र के थे...
लखमाजी माली के मंदिर गुजरात और
राजस्थान मे आये हुये है...
>---> जय क्षत्रिय माली समाज...
>---> जय श्री मालीनाथ महादेव
>---> जय श्री वनमाली भगवान (क्रीष्ना)
>---> जय लखमाजी माली (सोलंकी) >---> जय सावता माली
>---> जय महात्मा ज्योतीबा माली
>---> जय सावीत्रीबाई माली
>---> जय माली समाज
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===> क्षत्रिय माली समाज सूयँवंशी ओर चंद्रवंशी है...
ये गौत्र वालो के पूवँज क्षत्रिय थे,फीर माली के
कमँ से अब क्षत्रिय माली/राजपूत माली हुये...
हमारे और राजपुतो के गौत्र,पेटा गौत्र,शाखाये
और कुलदेवी ऐक ही है...
(1) चौहान,देवडा और टांक तीनो ऐक परिवार
के है..और वो चौहानो की शाख है |
ये लोग खुद के गौत्र मे शादी नही करते,
राजपूतो मे बी हम क्षत्रिय मालीयो की
तरह ही है...
(2) परमार और सोंखला गौत्र वाले भाई है...
ये लोग ऐक दुसरे मे शादी नही करते...
वो परमार की शाख है...
(3) राजपुतो की तरह हमारे क्षत्रिय माली
समाज खुद के गौत्र छोड के तय कीये
हुये क्षत्रिय माली समाज के गौत्र मे ही
शादी करते है...
(4) हम सैनी नही कीन्तु क्षत्रिय माली है...
जोधपुर के मंडोर उधान मे राजा महाराजाओ
के राजधराना के और हमारे क्षत्रिय मालीयो
के स्मशान 700 वषॉ से ऐक ही है...
(5) राव ईसर को कहते है, ईसर नीकालने का
अधिकार केवल राजपूतो को ही है |
जोधपुर के मंडोर मे हमारे क्षत्रिय माली
समाज की ओर से होली के दुसरे दिन ईसर
नीकाल के राज महेलो मे जाते है...
(6) नामदार राजस्थान सरकार ने भी हमारे
क्षत्रिय माली कोम्युनीटी को सैनीक क्षत्रिय
नाम के आदेश कीये है...
हम क्षत्रिय माली/सैनीक क्षत्रिय/राजपूत
माली है...
(7) क्षत्रिय माली समाज प्योर शाकाहारी है
और पुरे हीन्दुस्तान मे रहते है...
(8) 1553 मे राजस्थान के नागौरवाल मे क्षत्रिय
माली समाज ने बारह गौत्र की शाखाये
तय की थी,आज बी क्षत्रिय माली समाज
के बारह गौत्र मे ही शादी होते है...
(9) लखमाजी माली ने क्षत्रिय माली समाजमे ही
जन्म लीये थे, क्रीश्र्न भगवानके बडे भकत
थे.लखमाजी महाराज क्षत्रिय माली समाज
के सोलंकी गौत्र के थे...
लखमाजी माली के मंदिर गुजरात और
राजस्थान मे आये हुये है...
>---> जय क्षत्रिय माली समाज...
>---> जय श्री मालीनाथ महादेव
>---> जय श्री वनमाली भगवान (क्रीष्ना)
>---> जय लखमाजी माली (सोलंकी) >---> जय सावता माली
>---> जय महात्मा ज्योतीबा माली
>---> जय सावीत्रीबाई माली
>---> जय माली समाज